राजस्थान के चौहान शासक

   

                              राजस्थान के चौहान शासक 

 

(1) निम्नलिखित स्त्रोतों में चौहानो को सूर्यवंशी बताया गया है

(a) गौरीशंकर हीराचंद ओझा द्वारा लिखित राजपूताने का प्राचीन इतिहास

(b) नयन चंद्र सूरी द्वारा लिखित हम्मीर महाकाव्य

(c) जयानक द्वारा लिखित पृथ्वीराज विजय

(d) जोधराज द्वारा लिखित हम्मीर रासौ

(2) हांसी अभिलेख तथा आबू केअचलेश्वर शिलालेख में इन्हे चंद्रवंशी बताया गया है|

(3) प्रतिहार शासक राज्यपाल के सिवाड़ी अभिलेख में चौहानो को इन्द्रवंशी बताया गया है |

(4) डॉ. आसोपा के अनुसार सांभर झील के चारो तरफ निवास के कारण इनका नाम चाहुमान अर्थात चौहान पड़  गया|

(5) नयन चंद्र सूरी के हम्मीर महाकाव्य के अनुसार चौहान वंश का प्रथम शासक चाहमान को बताया गया हैं जिसकी व्याख्या चाप, हरी, मान और नीति से की हैं |

(6) जान कवी की कायम खा रासो तथा डॉ. दशरथ  शर्मा के अनुसार चौहान ब्राह्मण की संतान है |

                  चौहान के स्थानों से  सम्बंधित जानकारिया

 

(1) डॉ. दशरथ शर्मा केअनुसार ये चित्तोडगढ में निवास करते थे |

(2) सुर्जन चरित्र, पृथ्वीराज रासो, और हमीर महाकाव्य के अनुसार ये पुष्कर में निवास करते थे |

 

(3) चौहानो ने अपनी पहली राजधानी अहिछत्रपुर को बनाया |

(4) इनकी शाकंम्भरी रियासत में सवा लाख गांव होने के कारन इन्हे सपाद लक्ष्य कहा गया |

                चौहान शासक के प्रमुख शास

 

(1) वासुदेव चौहान (551 ईस्वी )-

§ 1170 के बिजोलिया शिलालेख के अनुसार डॉ. दशरथ शर्मा ने वासुदेव चौहान को इस वंश का प्रथम संस्थापक माना है |

§        इसने सांभर नगर बसाया और उसे अपनी राजधानी बनाया |

(2) दुर्लभ राज-I

§  ये  प्रतिहार शासक वतसराज के समकालीन था|

§  इसी के काल में सर्वप्रथम सांभर पर मुस्लिम आक्रमण हुआ था|

(3) गुवक-I

§  ये प्रतिहार शासक नागभट्ट-II के समकालीन था|

§  नागभट्ट-II ने इसे वीर की उपाधि दी थी|

§  इसी ने सीकर में हर्षनाथ मंदिर निर्माण प्रारम्भ करवाया था |

(4) चन्दन राज-

§  इसकी पत्नी का नाम रुद्राणी/आत्मप्रभा था जो की काल सर्प दोष से पीड़ित थी|

§  इसके लिए पुष्कर सरोवर में एक हज़ार दीपक तथा एक हज़ार शिवलिंग का निर्माण करवाया गया|

(5) वाकपित्त राज-

§  इसे 188 युद्धों  का विजेता कहा जाता है|

(6) सिंहराज-

§  इसने हर्षनाथ मंदिर का निर्माण पूरा करवाया|

§  ये चौहान वंश का प्रतापी शासक था|  

§  इसने चौहानो को प्रतिहारो से अलग किया|

§  इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की|

(7) विग्रहराज -II (956 ईस्वी)-

§  इसने 981 में हर्षनाथ अभिलेख का निर्माण करवाया|

§  जिसमे वासुदेव चौहान से लेकर सिंहराज तक सभी शासको की जानकारियाँ  मिलती है|

§  इसने परमभट्टारक महाराजाधिराज की उपाधि धारण की|

§  ये उपाधि धारण करने वाला यह प्रथम शासक था|

§  इसने अन्हिलवाड़ा के शासक मूलराज-I को पराजित किया|

§  इसने भृंगकुछ (भाँडोच) तथा सांभर नगर में आशापुरा देवी का मंदिर बनवाया|

(8)वीर्यराज (1024 ईस्वी)-

§  इसी के काल में महमूद गजनवी ने आक्रमण किया और सांभर नगर पर अधिकार किया|

(9) चामुंड राय- 

इसने सांभर नगर पर पुनः अधिकार किया|

(10) पृथ्वीराज चौहान-I

§  इसी तुर्क जाति का विजेता कहा जाता था|

§  इसी के काल में जीण माता अभिलेख की रचना प्रारम्भ हुई|

§  इसने भी परमभट्टारक महाराजाधिराज की उपाधि धारण की|

(11) अजयराज चौहान (1113-1133 ईस्वी)

§  ये पृथ्वीराज चौहान-I का पुत्र था|

§  चक्रवर्ती सम्राट होने के कारण इसे अजय चक्री कहा जाता था|

§ इसके सिक्के अजसप्रिय या द्रुमस कहलाते थे|

§ इसने सिक्को के पीछे अपनी पत्नी सोमलेखा का नाम लिखवाया|

§ इसने मालवा के शासक नरवर्मन को हराया तथा उसके सेनापति सुलहन को बंदी बना कर अजमेर ले आया|

§इसने अन्हिलवाड़ा के शासक मूलराज II को पराजित किया| इसने 1113 ईस्वी में अजमेर नगर बसाया और इसे अपनी राजधानी बनाया|

§  इसने गढ़ बिठली पहाड़ी पर अजयमेरु दुर्ग का निर्माण करवाया जिसका नाम कुंवर पृथ्वीराज ने बदल कर अपनी पत्नी तारा के नाम पर तारागढ़ रख दिया|

§  इसने अपने पुत्र अर्णोराज के पक्ष में सिंघासन का त्याग किया तथा अपना बाकी जीवन पुष्कर में बिताया|

 

(12) अर्णोराज (1133-1150)-

§  इसे आनाजी के नाम से भी जाना जाता है| बिजोलिया शिलालेख के अनुसार 1133-1137 तक इसने आनासागर झील का निर्माण करवाया जिसका मूल कारण था तुर्क जाति के खून से सनी धरती को धोना|

§  जहाँगीर ने इस झील के किनारे दौलतबाग का निर्माण करवाया जिसे वर्तमान में सुभाष उद्यान के नाम से जाना जाता है|

§  शाहजहां ने इसके किनारे बारह्दरियो का निर्माण करवाया था|

§  अर्णोराज ने पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण भी करवाया लेकिन जहाँगीर ने वराह मूर्ति को पुष्कर झील में फिकवा दिया|

§  इसलि उपाधि गरजनो मातंग थी|

§  इसने 1134 ईस्वी में गुजरात के चालुक्य वंश के शासक जयसिंहसिद्धराज को पराजित किया तथा उसकी पुत्री कांचन देवी से विवाह किया|

§  इसने 1145 ईस्वी में चालुक्य वंश के कुमार पाल चालुक्य के साथ युद्ध किया परन्तु ये पराजित हुआ और इसने अपनी पुत्री जल्हण का विवाह कुमार पाल से किया कुमार पाल ने नाडोल तथा सांभर नगर पर अधिकार किया|

§  इसी के पुत्र जगाद देव ने 1150 ईस्वी में इसकी हत्या कर दी और 1152 ईस्वी तक शासन सभाला|

(13) विग्रहराज चतुर्थ- IV (1152-1163 ईस्वी)-

§  विन्सेंट स्मिथ ने इसके काल को स्वर्णकाल कहा है|

§  ये बीसलदेव के नाम से रचनाए लिखा करता था|

§   इसने हरिकेली नमक संस्कृत का नाटक लिखा जिसमे भगवान शिव तथा अर्जुन के मध्य काल्पनिक युद्ध का उल्लेख किया गया है|

§  नरपति नालह ने बीसलदेव रासो की रचना की जिसमे धार राजकुमारी राजमती तथा विग्रहराज के मध्य काल्पिनिक प्रेम सम्बन्धो का उल्लेख किया गया है|

§  सोमदेव द्वारा रचित ललित विग्रहराज में विग्रहराज तथा इंद्रपुरी की राजकुमारी देसल दे के मध्य प्रेम सम्बन्धो का उल्लेख मिलता है|

§  इसने अजमेर में संस्कृत विद्यालय का निर्माण करवाया तथा उसकी दीवारों में हरिकेली नाटक को उत्कीर्ण करवाया|

§  कुतुबुदीन ऐबक ने इस विद्यालय को मुस्लिम इमारत का आकार दे दिया जिसमे 16 खम्भे है|

§  अजमेर में पंजाब शाह पीर का उर्स भरता है जिसमे जायरीन आते है और वे यहाँ पर ढाई दिन तक रुकते है,अतः इसे ढाई दिन का झोपड़ा कहा गया|

§  कर्नल जेम्स टॉड ने इसे प्राचीन भारत की उत्कृष्ट इमारत कहा है|

§  बीसलदेव ने बीसलपुर क़स्बा तथा बीसलपुर बांध का निर्माण करवाया|

§  इसकी उपाधि कवि बांधव तथा कटी बंधू थी|

§  इसने गजनी के शासक अमीर खुसरू शाह को पराजित किया तथा धर्म घोष सूरी के कहने पर पशुवध पर रोक लगाई|

(14) सोमेश्वर चौहान (1169-1177)-  

§  इसने दिल्ली के शासक अनंगपाल तोमर की पुत्री कार्पूरी देवी से विवाह किया|

§  इसका प्रधानमंत्री कमास/कदंबवास था|

§  इसका सेनापति भुवनमल्लि / खांडेराव था|

§  इसी के काल में 1170  ईस्वी में बिजोलिया शिलालेख की रचना प्रारम्भ हुईं, जिसका लेखक गुणचन्द्र तथा उत्कीर्णकर्ता गोविंदचंद्र था|

§  चालुक्य वंश के शासक भीमदेव-II के साथ युद्ध करता हुआ ये मारा गया|

(15) पृथ्वीराज चौहान-III (1177-1192 ईस्वी)-

§  इनका जन्म अन्हिलवाड़ा में 1166 में ईस्वी हुआ था|

§  इनके पिता का नाम सोमेश्वर चौहान था|

§  इनकी माता का नाम कार्पूरी देवी था|

§  इसकी दो पत्निया थी- (i) संयोगिता पुत्री जयचंद गहड़वाल

(ii) इछनि देवी पुत्री जेत सिंह आबू

§  इनके भाई का नाम हरिदेव तह था|

§  इनके बेटे का नाम गोविन्द राज चौहान था |

§  इनकी संरक्षिका इनकी माता थी 1177-1178 ईस्वी तक|

§  इन्होने चालुक्यों,भण्डानिको तथा चन्देलों को पराजित किया|

§  इसने 1178 ईस्वी में गुड़गांव के युद्ध में अपने काका नागार्जुन के विद्रोह का दमन किया|

§  इसने चंदेल शासक परमर्दिदेव को पराजित किया तथा इस युद्ध में महोबा के सेनापति आल्हा और उदल वीरगति को प्राप्त हुए|

§  इसने चालुक्य वंश के शासक भीमदेव II को पराजित किया तथा आबू के शासक जेत सिंह की पुत्री इछनि देवी से विवाह किया |

    कुछ किताबो के आधार पर मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुए युद्ध

     i.         चंदरबरदाई के पृथ्वीराज रासो के अनुसार इनके मध्य 21 बार युद्ध हुआ|

   ii.         राजशेखर के प्रबंध कोष के अनुसार 20 बार युद्ध हुआ|

 iii.         मेरुतुंग के प्रबंधचिंता-मणि के आधार पर लगभग 23 बार युद्ध हुआ|

 iv.         फारसी लेखो के अनुसार 2 बार युद्ध हुआ-

a)  हसन निजामी - ताज उल महासिव

b) मिन्हाज उल सिराज-तबकाते नासिरी

 v.जयानक द्वारा लिखित पृथ्वीराज विजय के अनुसार 7बार युद्ध हुआ |

तराईन का प्रथम युद्ध( 1191 ईस्वी)  

§  इस युद्ध में मोहम्मद गौरी को गोविन्द राय ने घायल किया था तथा गौरी पराजित हुआ

तराईन के प्रथम युद्ध के बाद तथा तराईन के द्वित्य युद्ध से पहले इसने जयचंद गहड़वाल  की पुत्री संयोगिता से गन्धर्व विवाह किया| जयचंद गहड़वाल ने गौरी को पृथ्वीराज विजय के ऊपर आक्रमण करने के लिए बुलाया

तराईन का द्वित्य युद्ध( 1192 ईस्वी)  

§  इस युद्ध में गौरी ने चौहान के साथ छल किया और चौहान पराजित हुआ|

§  हसन निजामी की ताज उल महासिव के अनुसार चौहान ने गौरी की अधीनता स्वीकार की तथा वापस विद्रोह करने के कारण उसकी हत्या कर दी गयी|

§  मिन्हाज उल सिराज की तबकाते नासिरी के अनुसार सिरसा नामक स्थान पर इसकी हत्या कर दी गयी|

§  चंदरबरदाई के अनुसार चौहान को गौरी के पास ले जाया गया तथा वह इसकी हत्या हुई|

चौहान ने अजमेर में साहित्यिक विभाग की रचना की|

इसके प्रमुख साहित्यकार थे-

1.   चंदरबरदाई

2.   जयानक

3.   वागीश्वर

4.   जनार्दन

5.   विश्वरूप

 

इसकी उपाधि थी-

1.   दल पूंगल

2.   राय पिथोरा